महिला की तपस्या से यमराज भी नतमस्तक

कहते की नारी को ऐसा वरदान प्राप्त की अगर वह सच्चे मन से तप और भगवान की आराधना करती तो अपनी इच्छा पूर्ति भी कर सकती है। हिंदू धर्म में नारी शक्ति को शक्ति का रूप इसी कारण ही माना गया है। भूखे,प्यासे रहकर अपने पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं करवाचौथ वाले दिन व्रत रखती हैं। करवाचौथ व्रत को लेकर महिलाओं में प्रत्येक वर्ष उत्साह देखने को मिलता है। पौराणिक कथाओं में कहा जाता की माता पार्वती अपने पति शिव को पाने के लिए तप और व्रत करती थी। इस तपस्या में वह सफल होकर अन्य नारी जाति के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी वनी हैं। वहीं ऐसा भी कहा जाता की पतिव्रता स्त्री सावित्री अपने मृत पति सत्यवान के प्राण अपने तप के वल पर यमराज से छुड़ाकर लाई थी। स्त्री में इतनी शक्ति होती की वो चाहे तो कुछ भी हासिल कर सकती है। इसलिए ही महिलाएं करवाचौथ व्रत के रूप में अपने पति की लंवी उम्र के लिए एक तरह ऐसा तप करती हैं। सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज आए तो पतिव्रता सावित्री ने उनसे अपने पति के प्राणों की भीख मांगी थी। यमराज के मना करने पर सावित्री ने अन्न, जल का त्याग कर दिया और पति के शव पास विलाप करने लगी। पतिव्रता स्त्री के इस विलाप से यमराज वहुत विचलित हुए। यमराज ने सावित्री को कहा की अपने पति के प्राणों के अतिरिक्त कोई अन्य वर मांग लो। सावित्री ने यमराज से कहा की आप मुझे कई संतानों की मां वनने का सिर्फ वर दें, जिसपर उसने सहमति जताई।तपस्या का अर्थ होता किसी चीज को त्यागना और किसी एक दिशा में आगे वढ़ना।महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत करती हैं,चौथ का चांद हमेशा देर से निकलता है। कई वार तो देर रात तक चांद नहीं दिखता है,ऐसा मौसम के विगड़ने कारण भी होता है। ऐसे में महिलाएं देर रात या अगले दिन तक अपना व्रत नहीं तोड़ती हैं। ये एक तरह महिलाओं की परीक्षा की घड़ी भी होती की वह अपने पति के लिए कितना त्याग कर सकती हैं।भारतीय महिलाओं के लिए करवाचौथ का व्रत रखना सवसे महत्वपूर्ण होता है। व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और पति की लंवी उम्र की कामना करते हुए किया जाता है। द्वापर युग से लेकर कलयुग तक यह पर्व उतनी आस्था और विश्वास से मनाया जाता है। सुहागन महिलाएं स्वार्थ सिद्धि योग और शिव योग से इस व्रत को करती हैं। इस व्रत किए जाने में करवा और चौथ का क्या महत्व वहुत कम महिलाएं इस वारे अवगत हैं। प्राचीन समय में एक करवा नाम की प्रतिव्रता स्त्री थी,और उसका पति काफी उम्रदराज था। एक दिन माता करवा का पति स्नान करने के लिए नदी में चला गया। नदी में नहाते समय अचानक एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़कर उसे निगलना शुरू कर दिया। इस वीच करवा के पति ने जोर से चिल्लाकर अपने प्राणों की सुरक्षा किए जाने की गुहार लगाई।माता करवा वहुत पतिव्रता थी, जिस कारण उसके सतीत्व में भी वल था।करवा नदी के तट पर पहुंचकर अपनी सूती साड़ी के एक धागे से उस मगरमच्छ को वांध लिया। सूती दागे से बंधे मगरम्माच्छ को लेकर करवा यमराज के दरवार पहुंच गई। यमराज महाराज ने इस वीच माता करवा से पूछा कि आप इस तरह जहां इस मगरमच्छ क्यों लाई हैं। करवा ने यमराज को जवाव देते हुए कहा कि इस मगरमच्छ ने मेरे पति को स्नान करते हुए पकड़ लिया, इसलिए आप इसे मृत्यु दंड दें। यमराज ने करवा को कहा की अभी तक इस मगरमच्छ की आयु शेष, इसलिए वह इसे समय से पहले मृत्यु दंड नहीं दे सकते हैं। करवा माता ने यमराज पर क्रोधित होकर कहा की अगर आप मगरमच्छ को मृत्युदंड देकर मेरे पति को चिरायु का वरदान नहीं देते तो वह अपने तपोवल से आपको भी नष्ट कर देगी।करवा की वात सुनकर यमराज के पास खड़े चित्रगुप्त भी सोच में पड़ गए।सोच का कारण यह रहा की करवा एक प्रतिव्रता सतीत्व महिला थी, जिस कारण यमराज भी उसका कुछ नहीं विगाड़ सकता था।यमराज ने आखिर मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के प्रति को चिरायु का वरदान दिया।चित्रगुप्त ने माता करवा से कहा की जिस तरह तुमने अपने तपोवल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की है,उससे वह वहुत प्रसन्न हैं। चित्रगुप्त ने करवा को वरदान दिया कि आज के दिन जो भी महिलाएं पूर्ण विश्वास के साथ तुम्हारा व्रत और पूजन करेंगी,उसके सौभाग्य की रक्षा वह स्वयं करेंगें। उस दिन कार्तिक माह की चतुर्थी होने कारण करवा चौथ मिलने से इसका नाम ही करवाचौथ पड़ गया।इस तरह माता करवा प्रथम महिला थी,जिसने सुहाग की रक्षा के लिए केवल व्रत किया बल्कि करवाचौथ व्रत की शुरुआत भी करवाई। करवा चौथ के व्रत को करने वाद शाम को महिलाएं माता करवा की पूजा करते हुए करवाचौथ की कहानी भी पड़ती हैं। यही नहीं सुहागिन महिलाएं माता करवा से इस दिन अपने सुहाग की लंबी उम्र की विनती करती हैं पतिव्रता स्त्री होने कारण किसी अन्य पुरुष के वारे सावित्री के लिए सोचना भी पाप था। अंत में अपने वचन से बंधने के कारण एक पतिव्रता स्त्री के सुहाग को यमराज लेकर नहीं जा सके और सत्यवान के जीवन को सावित्री को सौंप दिया। ठीक तभी से महिलाएं अन्न, जल का त्याग कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। आज के दौर में करवा चौथ का व्रत बहुत ही खर्चीला वन चुका है।महिलाएं सिर्फ इस दिन वाजारों में खूव खरीददारी किए जाने पर ज्यादा फोकस रखती हैं। करवाचौथ का व्रत मोख करवाने के नाम पर भी कुछेक लोग महिलाओं से हजारों रूपये ऐंठते हैं। कुछेक महिलाएं इस पर्व पर अपने पतियों से ज्वैलरी,महंगे कपड़े और अन्य सामान की खरीददारी किए जाने की मांग करती हैं। पतियों की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से वह कई वार अपने पत्नी की मांगों को पूरा नहीं पाते हैं। नतीजन ऐसे परिवारों में त्यौहार आने से पहले ही विवादास्पद स्थिति वन जाती जो की गलत वात है। हर साल इस पर्व की वेला पर कई अपराधिक घटनाएं घटित होती हैं।महिलाओं को करवा चौथ का त्यौहार सादगी से परिपूर्ण मनाए जाने की अधिक जरूरत है।