कांगड़ा

महाराणा प्रताप पोंग झील का जलस्तर धीरे धीरे खतरे के निशान की तरफ बड़ने लग रहा

प्रदेश में हो रही मूसलाधार के चलते कांगड़ा जिले के महाराणा प्रताप पोंग झील का जल स्तर भी धीरे धीरे खतरे के निशान की तरफ बड़ने लग रहा है । आज वीरवार को झील का स्तर 1356.50 फुट तक हो गया है।वहीं मंगलवार को जहां झील का का जलस्तर 1346. 50 फुट पहुंचा था ,जो आज वीरवार को झील में पानी का भंडारण 1356.50 तक हो गया है,आज तक अगर देखा जाए तो पिछले 48 घण्टों में ही लगभग 10 फुट पानी की बड़ौतरी झील में हो चुकी है।हलांकि अभी यह भी खतरे के निशान से करीब 34 फुट अभी दूर है ,जबकि बी बी एम् बी प्रसाशन 1390 फुट तक जलाशय में पानी संचित करता है । माना जा रहा है जिस तरह से पानी की आवक आ रही है और वहीं बरसात का काफी समय है लगता है कि झील का स्तर अपने लक्ष्य तक पहुँच ही जाएगा। उल्लेखनीय है कि यह पोंग झील में जलस्तर मुख्य रूप से मानसून की बारिश पर निर्भर करता है। पिछले कुछ वर्षों में सबसे ज़्यादा जलस्तर अगस्त 2023 में दर्ज किया गया था। उस समय भी प्रदेश के उपरी क्षेत्रों में बादल फटने और भारी बारिश के कारण डैम का जलस्तर 1395.80 फीट तक पहुँच गया था, जो कि इसकी अधिकतम भंडारण क्षमता सीमा से 5 फीट ही नीचे था। कई बार कम सीजन पर कम बारिश के कारण भी जलस्तर बहुत कम भी रहा है। जैसे वर्ष 2014 में डैम का जलस्तर अपनी अधिकतम सीमा से करीब 24 फीट कम था। इसी तरह, 2024 में भी कम बारिश के कारण जलस्तर अन्य पिछले साल की तुलना में कम रहा था। जबकि दूसरी तरफ पौंग बांध में जल स्तर ज्यादा हो जाए तो पोंग डैम से पानी छोड़े जाने की स्थिति में आस-पास के निचले इलाकों में बाढ़ जैसा खतरा बन जाता है। बरसात वर्ष 2023 में जब डैम का जलस्तर खतरे स्तर पर जा रहा था, तो इसे नियंत्रित तरीके से लगातार पानी छोड़ा गया था। हलांकि उस दोरान पंजाब और हिमाचल प्रदेश के निचले कुछ इलाकों में नुकसान भी हुआ था। सूत्रों की माने तो प्रभावित क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले मंड आदि और पंजाब के निचले इलाके के काफी गाँव प्रभावित हुए थे। हिमाचल प्रदेश में इंदौरा क्षेत्र और पंजाब के निचले इलाके, जहाँ पानी छोड़े जाने पर अक्सर बाढ़ जैसी समस्या आती है, वहाँ लोगों को पहले से ही चेतावनी देने और सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की व्यवस्था को प्रयास किये जाते है। इसी कारन मॉनसून के इन दिनों पौंग जलाशय में पानी की गति , स्टोरेज क्षमता को ले कर चाहे बी बी एम बी प्रसाशन हो या जिला प्रशासन हमेशा अलर्ट पर रहता है और अभी बारिश का सिलसिला थमा भी नहीं है।

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