कांगड़ा

जिला कांगड़ा के तहत कुछ वन मंडलों के कुछ रेंज अधीन के वनों में से बहुमूल्य खैर प्रजाति सहित अन्य प्रतिबंधित्

लकड़ियों की तस्करी के हाल ही में मामले सामने आने के बाद कई गंभीर सवाल खड़े होने शुरू गए हैं? हालांकि वन विभाग की चौकसी के चलते लाखों रुपए की लकड़ी जब्त की गई है, लेकिन इससे यह सवाल उठने लगा है कि आखिर कौन लोग हैं जो वन संपदा को चोरी-छिपे काटकर कथित अवैध व्यापार में लिप्त हैं ? हालांकि वन विभाग ने सराहनीय कार्य करते हुए वन रेंज नगरोटा सूरियाँ के धार में नाके पर और ज्वालामुखी के सपडी (भाटी) में गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए बड़ी मात्रा में लकड़ी पकड़ी है। इससे वन विभाग की निगरानी और चौकसी तो दिखती है, लेकिन यह भी स्पष्ट होता है कि कथित वन माफिया की गतिविधियां, फिर भी लगातार जारी हैं। पर्यावरण प्रेमी और स्थानीय लोग इस बात पर चिंता जता रहे हैं कि चाहे राज्य में कोई भी सरकार रही हो, कथित तोर अवैध लकड़ी तस्करी का यह धंधा कभी रुका नहीं है। यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यह लकड़ी केवल प्रदेश में ही बेची जाती है, या इसे दूसरे राज्यों में भी ले जाया जाता है ? जब तक सरकार इन बहुमूल्य लकड़ियों के तथा कथित खरीदारों का पता लगाकर उन पर कड़ी कार्रवाई नहीं करती, तब तक इस समस्या पर पूरी तरह से लगाम लगाना मुशिकल सा लगता है। वहीं पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि पकड़े जाने बालों की गहन पूछताछ होनी चाहिए ताकि वे खरीदारों का नाम बताएं। खरीदारों पर भी कठोर कार्रवाई की मांग की जा रही है, क्योंकि उनका कहना है कि जब तक मांग रहेगी, तब तक यह अवैध धंधा भी चलता रहेगा। सवाल ये भी है की एक तरफ जहां हर साल लाखों रुपए पौधारोपण पर खर्च किए जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछेक जंगल, अंदर से वीरान होते जा रहे हैं। यहाँ तक इससे यह सवाल उठने लगा है कि वन संपदा की रक्षा के लिए और कौन से ठोस कदम उठाए जाने चाहिए ताकि इस अवैध व्यापार पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके ? पर्यावरण प्रेमियों ने प्रदेश के वन मंत्री और विभाग के आला अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे इस मामले की तह तक जाएं और उन लोगों पर सख्त कार्रवाई करें जो इस कथित अवैध व्यापार से चांदी कुट रहे हैं। उनका कहना है कि तह तक जा कर,उनके ठिकानों और उनके कथित रूप मैं, खरीदारों तक पहुंचना अति जरूरी है ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके तथा वन संम्पदा सुरक्षित रहे।

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