एवीवीपी व्यक्तित्व विकास की मार्गदर्शक

देश की आजादी तदोपरांत प्रत्येक क्षेत्र में लोगों ने काम करने का बेड़ा उठाया। शिक्षा क्षेत्र में आने बाली समस्याओं को हल करवाने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नामक छात्र संगठन का गठन किया गया।अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का गठन 9 जुलाई 1949 को दिल्ली में हुआ था।शुरुआत के दिनों में इस छात्र संगठन का काम इतना नहीं रहा,मगर कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत,लग्न का नतीजा की आज देश का सबसे बड़े छात्र संगठन के रूप में जाना जाता है।प्रत्येक बर्ष 9 जुलाई को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का स्थापना दिवस कालेजों,विश्वविद्यालयों और अन्य शिक्षण संस्थानों में मनाया जाता है।इस छात्र संगठन के लोग इसे अवसर की तरह मनाते हुए मिठाइयां बांटते हैं।अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पिछले सात दशकों से शिक्षण संस्थानों में अपनी गतिविधियां निरंतर चला रहा है।दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्रों में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत करते हुए उनका संपूर्ण व्यक्तित्व विकास किए जाने में अपनी अहम भूमिका निभाता जा रहा है।अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का मूल उद्देश्य राष्ट्र का पुनर्निर्माण करना है।ठीक इसी वजह से यह छात्र संगठन ज्ञान शील एकता,विद्यार्थी परिषद की एकता आधारित है।इस संगठन से निकले हुए छात्र नेता आज विभिन्न क्षेत्रों में बहुत ही बढ़िया काम करते हुए समाज के अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं।
विद्यार्थी परिषद् के अनुसार, छात्रशक्ति ही राष्ट्रशक्ति होती है। विद्यार्थी परिषद् का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है। स्थापना काल से ही संगठन ने छात्र हित और राष्ट्र हित से जुड़े प्रश्नों को प्रमुखता से उठाया है और देशव्यापी आंदोलनों का नेतृत्व किया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने छात्र-हित से लेकर भारत के व्यापक हित से सम्बद्ध समस्याओं की ओर बार-बार ध्यान दिलाया है। बांग्लादेशी अवैध घुसपैठ और कश्मीर से धारा 370 को हटाने के लिए विद्यार्थी परिषद् समय-समय पर आन्दोलन चलाता रहा है। बांग्लादेश को तीन बीघा भूमि देने के विरुद्ध परिषद् ने ऐतिहासिक सत्याग्रह किया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् शिक्षा के व्यवसायीकरण के खिलाफ बार-बार आवाज उठाती रही है। इसके अतिरिक्त अलगाववाद, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण, आतंकवाद और भ्रष्टाचार जैसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के खिलाफ हम लगातार संघर्षरत रहे हैं। बिहार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नाम सबसे ज्यादा रक्तदान करने का रिकॉर्ड है । इसके अलावा वैसे निर्धन मेधावी छात्र, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिय़े निजी कोचिंग संस्थानों में नहीं जा सकते, उनके लिये स्वामी विवेकानंद निःशुल्क शिक्षा शिविर का आयोजन किया जाता है। एबीबीपी में तीन प्रकार की गतिविधियां बर्ष भर चली रहती हैं। छात्रों को राष्ट्रवादी संगठन से जोड़ने के लिए सदस्यता अभियान चलाया जाता है।नए शिक्षा सत्र में शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेने वाले छात्रों को संगठन की सदस्यता ग्रहण करवाकर उन्हें इसके मूल उद्देश्यों बारे बताया जाता है।कालेज,विश्वविद्यालय प्रबंधन और सरकारों के छात्र विरोधी फैसलों खिलाफ आवाज उठाकर उन्हें छात्र हित में मनवाना ही इस छात्र संगठन का ध्येय है।एबीबीपी विधारधारा अनुसार आज का छात्र कल का जिमेदार नागरिक है।आज का युवा सिर्फ किताबी कीड़ा बनकर ही न रह जाए उसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास होना भी बहुत जरूरी है।ऐसे छात्रों को समाज और राष्ट्र के पुनर्निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभानी चाहिए।अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में बर्ष भर अनेकों गतिविधियां करवाई जाती जिससे छात्रों का विकास किया जा सके।शिक्षण संस्थानों में रक्तदान शिविर लगाना,खेलकूद,सांस्कृतिक कार्यकम और देश भक्ति से ओत प्रोत कार्यक्रम प्रस्तुत करके छात्रों का संपूर्ण व्यक्तित्व विकास किया जाता है।प्रदेश,जिला स्तर पर संगठन के आभास वर्ग में भी ठीक इसी विषय पर अधिक फोक्स करके हुए समाज की अन्य चुनौतियों पर गहन चर्चा की जाती है। कालेज,विश्वविद्यालयों में जहां एबीबीपी की इकाइयां काम करती हैं।वहीं इन्ही इकाइयों से निकलकर छात्र एससीए चुनाव भी लड़ते हैं।एक छात्र में किस तरह की लीडरशिप होनी चाहिए उसकी झलक सिक्षण संस्थानों में देखने को मिलती है। शिक्षण संस्थान आजकल राजनीति का अखाड़ा बनते जा रहे जिसकी वजह से छात्रों में छात्र राजनीति प्रति पूर्व की भांति रुचि नहीं रही है।आज का छात्र सिर्फ किताबी कीड़ा बनकर रहना ज्यादा पसंद कर रहा है। शिक्षण संस्थानों में छात्रों की क्या मूलभूत समस्याएं उससे उसका सरोकार भी कम होता जा रहा है।समाज,प्रदेश और राष्ट्र की क्या समस्याएं उस पर चिंतन किए जाने का अधिकाश युवा पीढ़ी के पास आजकल समय नही रहा है।युवा पीढ़ी स्वार्थी बनकर सिर्फ अपने तक सीमित होकर रह गई जिसकी वजह से वह अपने अभिभावकों तक की परवाह नही कर रही है।कालेज छात्र ऐसे हों जिनका सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास हुआ हो।वह सदैव समाज और राष्ट्र का पुनर्निर्माण किए जाने सहित समाज की बुराइयों खिलाफ हमेशा लामवद होने चाहिए।युवाओं को नशों से दूरी बनाकर अपना भविष्य सुरक्षित बनाए जाने पर हमेशा फोक्स रखना चाहिए।