कांगड़ा

बरसात ने खोली अवैध कटान की पोल

नूरपूर,सुखदेव सिंह:-

हिमाचल प्रदेश में पेड़ों के कटान पर प्रतिबंध बाबजूद पंडोह डेम में कीमती लकड़ी वह कर पानी में आना सोशल मीडिया में चर्चा का बिषय बना है।अफ़सोस की बात यह की सुख सरकार के एक कांग्रेसी बिधायक ने सरकार से इस बाबत सवाल पूछा है की अगर पेड़ कटान पर प्रतिबंध तो फिर पंडोह डेम में तैरती लकड़ी कहाँ से आई है?।पहाड़ी राज्य का ताप मान 50 डिग्री को ऐसे ही पार नहीं किया इसमें वन माफिया का बहुत बड़ा योगदान है।वन विभाग की अनुमति बगैर एक पेड़ काटना भी मुश्किल हैँ।मगर जहाँ तो रोजाना हिमाचल प्रदेश की वन सम्पदा ट्रकों में भरकर पड़ोसी राज्यों की प्लाई फैक्ट्रीयों में बेचीं जा रही है।हिमाचल प्रदेश के सात शहरों की हवा जहरीली बन चुकी जिससे इंसान के स्वास्थ्य को खतरा है।देशभर में हुए इस सर्वें में कुल 131 शहरों मे 7 शहर हिमाचल प्रदेश के शामिल होना चिंताजनक है।जहरीली हवाओं में संलिप्त 7 शहर वह बताए गए जिनमें उद्योग लगे हुए हैँ।उद्योगों के नाम पर जनता के स्वास्थ्य साथ किस तरह खिलबाड़ किया जा रहा उसका ताजा खुलासा हुआ है।पेट्रोल,डीजल के बढ़ते वाहन भी पर्यावरण प्रदूषण बढ़ाने का अधिक काम कर रहे हैँ।हिमाचल प्रदेश पहाड़ी राज्य होने के वावजूद आजकल जहाँ जिस तरह प्रचंड गर्मी पड़ रही चिंता का बिषय है। पहाड़ी राज्य में इस बार गर्मी का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को पार करने जा रहा है।आम आदमी का जन जीवन इस तपिश में अस्त व्यस्त है।प्रचंड गर्मी से बचाव हेतु लोग हजारों रुपये खर्च करके एयर कंडीशनर खरीदने को पहल दे रहे हैँ।मगर पेड़ लगाने के लिए लोगों की रुचि दिनोदिन घटती जा रही है।एयर कंडीशनर की ठंडी हवा भी सदैव स्वास्थ्य लिहाज से हानिकारक मानी जाती है।हरे भरे पेड़ों से चलने बाली हवाओं से एक व्यक्ति इस तपिश से राहत जरूर पा सकता है।सुख की सरकार ने अब सरकारी कार्यालयों में पानी की प्लास्टिक बोतलों पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है।हिमाचल प्रदेश में अचानक पिछले कुछेक बर्षों में गर्मी का तापमान क्यों बड़ा मंथन का बिषय है।सरकारें ही गंभीर विषयों बारे चिंतन करें लोगों को भी इंसान होने का हक जरूर निभाना चाहिए।पशु भी जमीन पर बैठने से पहले अपनी पूंछ से उस जमीन को साफ करके अपनी समझदारी का सबूत देता आ रहा है।आजकल का इंसान क्या पशुओँ से भी बदत्तर बनता जा रहा जो इधर,उधर प्लास्टिक का सूखा कचरा फैंककर अपनी नासमझी का सबूत दे रहा है?।प्लास्टिक पानी की बोतल,कोल्ड ड्रिंक,एनर्जी ड्रिंक,चाय, काफी के कप लोग इस्तेमाल तदोपरांत सरेआम सड़को,गलियों, बस स्टाप पर फेंकना अपनी रोजमर्रा की आदत बना चुके हैं।सरकार ने सबच्छता अभियान केवलमात्र मीडिया में वाहवाही लूटने के लिए नहीं चला रखा हुआ है।लोगों में सूखे कचरे से होने बाले नुकसान को लेकर सामाजिक जागरूकता बड़े इसलिए ही चलाया गया है।
स्वच्छता अभियान के तहत गांब स्तर पर कूड़ेदान रखे गए,मग़र लोग इनमें सूखा कुड्डा डालने की बजाए उल्टा उनका मजाक बनाने में लगे हुए हैं।नतीजन ऐसे कूड़ेदान सिर्फ शोपीस बनकर ही रह चुके हैं।कम्पनियों का कुड्डा,कचरा भी खड्ड,नालों में फैंककर पर्यावरण दूषित बनाता जा रहा है।बढ़ता वायु प्रदूषण दिनोंदिन मानवता के लिए बहुत बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है।आसमान में उड़ते कचरायुक्त धूल के कणों से इंसान स्वच्छ वायु भी बरावर नहीं ले पा रहा है।दूषित वायु प्रदूषण की बजह से आजकल लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं।मौसम की एलर्जी,चमड़ी रोग,खाँसी, दमा, ह्रदयघात,हड्डी रोग और खुष्क त्वचा की समस्या से हर कोई आहत है।इसी बजह से लोग लंग,किडनी और पनुमोनीया जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार बनकर रहते जा रहे है।वायु प्रदूषण इंसान के दिमाग पर भी ज्यादा असर करके शरीर को निर्जीव बनाकर रख देता है।बढ़ते वायु प्रदूषण पर रोकथाम लगाने के लिए सरकारें फ़िलहाल नाकाम चल रही,नतीजन इसका खामियाजा आम जनमानस को भबिष्य में भुगतना पड़ सकता है।सर्दियों में खासकर लोग कूड़े कचरे के ढेरों को आग लगाकर शरीर को तपिश देने की कोशिशें करते आ रहे हैं।ऐसे कचरे के ढेरों से उठने बाला धुंआ भी बातावरण को बिषैले बनाने का काम करता है।डीजल जनरेटर का धुआं और एयर कंडीशनर प्लांट की गर्म हवा भी पर्यावरण को ज्यादा गर्म बना रही है।फसलों,सब्जियों और फलों पर किये जा रहे जहरीली दवाओं और कीटनाशक स्प्रे से भी बातावरण पर विपरीत असर पड़ा है। धान का पुराल जलाने से सबसे ज्यादा बातावरण प्रदूषण हो रहा,मग़र जागरूकता बगैर यह सिलसिला सालों से इसी तरह चलता आ रहा है।जलते हुए धान के पुराल से आसमान में उड़ने बाले कचरायुक्त धुंए से वायु प्रदूषण रुकने का नाम नहीं ले रहा है।नतीजन बच्चों, बूढ़ों और हर कोई इस समस्या का खामियाजा भुगत रहा है।एक तो सर्दियों का मौसम होने के कारण आसमान में धुंध अपना डेरा जमाए हुए रखती है।बहीं जलती हुई कृषि और फैक्ट्रियों के धुंए से आम जनमानस का जीवन ही अस्त व्यस्त होकर रह जाता है।
बढ़ते वायु प्रदूषण की बजह से कुछेक राज्य समेत महानगर भी खासे प्रभावित रहते आ रहे हैं।मग़र बाबजूद इसके कोई सीख लेने को तैयार नहीं है।न्यायालय ने कृषि को जलाए जाने पर कड़ा प्रतिबंध लगाया है,मग़र कुछेक किसान धान का पुराल जलाकर प्रकृति से खिलबाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं।शहरों में रहने बाले लोगों को स्वच्छ वायु न मिलने की बजह से बह अपने घरों की चारदीवारी में बंद होकर रहने को मजबूर हो जाते हैं।मग़र अब यह समस्या हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में भी बढ़ रही है। वायु प्रदूषण खासकर बच्चों को अपनी चपेट में ज्यादा ले रहा,ऐसा माना गया है।दूषित वायु प्रदूषण से अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए अभिवाबकों को जागरूक बनने की जरूरत ज्यादा है।जंगलों में पेड़ों पर लगातार कुल्हाड़ी चली हुई हैं।पेड़ कटने की तादाद ज्यादा जबकि पौधरोपण भी मात्र दिखावे के लिए ही किया जा रहा है।पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करके आम जनमानस के लिए आक्सीजन छोड़ते हैं।जब पेड़ ही नहीं रहेंगे तो कैसे कचरायुक्त कार्बन डायक्साइड को खत्म करके मानवता के लिए आक्सीजन मुहैया हो पाएगी सभी को अब गौर करना होगा।पौधरोपण पर हर साल करोड़ो रुपया खर्च किया जा रहा,मगर इसके बाबजूद कटते जा रहे पेड़ों का दर्द कोई नहीं समझ पा रहा है।पेड़ों की कमी की बजह से जमीन का जल स्तर जहां दिनोंदिन गहराता जा रहा है।ठीक इसी कारण आजकल बारिशें बेमौसमी ज्यादा हो रही हैं।वायु प्रदूषण से आगामी पीढ़ी को बचाने के लिए बारिशों का समय पर होना बहुत जरूरी बन चुका है।आसमान में फैले कचरायुक्त धूल कणों को सिर्फ बारिश ही साफ कर सकती हैं।अगर जागरूकता से काम किया जाए तो बढ़ते वायु प्रदूषण से कुछ हद तक निजात पाई जा सकती है।मौसम बदलते ही हर साल नए नामों से कई तरह की फ्लू यानी वायरस चल पड़ते हैं।
इस वायरस का अगर समय रहते सही इलाज न किया जाए तो इंसान के लिए मौत का सबब भी बन जाता है।स्वाइन फ्लू,कोरला वायरस,ड़ेंगू, टायफाइड और मलेरिया बुखार से पीड़ित लोग हर साल मरते जा रहे हैं।बरसात खत्म होते ही सर्दियों के आगमन पर अजीव किस्म की कोल्ड फ्लू चलकर लोगों को जकड़ लेती है। चिकित्सकों ने कोल्ड फ्लू में नाक और आंख से पानी वहना,तेज बुखार,कपकपी लगना,कफ,दमा और खांसी को इसके प्रमुख कारण माना है।ऐसी फ्लू से ग्रसित मरीज को सर्वप्रथम चिकित्सीय ईलाज को पहल देनी चाहिए,मग़र ऐसा लोग करने की बजाए खुद दर्द निवारक गोलियां खाकर निजात पाने की कोशिश करते हैं।फ्लू से ग्रसित मरीज को बचाव के लिए भीड़भाड़ बाली जगह से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।मुहँ पर अच्छी गुणबत्ता बाले मास्क का उपयोग,हाथों को बार बार साबुन से धोना जरूरी होता है।इंसान घर के पके हुए खाने को कम तब्ज़ों देकर महंगे होटलों और रेस्टोरेंट का खाना खाना अपना स्टेटस सिंवल बना चुका है।आजकल हर जगह फ्रोजन खाद्य पदार्थ ही ज्यादा पकाए जा रहे हैं।ऐसा खाना खाने से इंसान का शरीर अंदर से खोखला बनकर रह जाता जिससे उसके शरीर में ऐसे वायरस से लड़ने की शक्ति खत्म होकर रह जाती है।बढ़ते वायु प्रदूषण से विश्ब के कई देश प्रभावित हैं।सर्दियों के मौसम में राजधानी दिल्ली और पंजाव राज्य के कई जिलों में इसके प्रभाव देखने को मिलते रहे हैं।बिकराल बनती जा रही वायु प्रदूषण की समस्या से अपने देश में मरने वाले लोगों का आंकड़ा ज्यादा बताया जाता है।हिमाचल सरकार को पेड़ों के कटान पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाकर प्रकृति की सुरक्षा के लिए आगे आना चाहिए।

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