कांगड़ा

नगरोटा सूरियां विकासखंड के शिफ्ट होने पर उठे सवाल

कांग्रेस के भीतर जवाली व कोटला पट्टी से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का समर्थन न मिलने से नगरोटा सूरियां के कांग्रेसी कार्यकर्ता निराश

नगरोटा सूरियां के ऐतिहासिक विकासखंड को ज्वाली स्थानांतरित किए जाने के सरकार के फैसले ने स्थानीय जनता, खासकर कांग्रेस समर्थकों के बीच काफी असंतोष है। क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ता जहां इस निर्णय को जनभावनाओं के खिलाफ मानते हैं, वहीं वे यह भी सवाल उठा रहे हैं कि पार्टी के भीतर उनके इस विरोध को पर्याप्त समर्थन ज्वाली व कोटला पटियों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से नहीं मिल रहा है। नगरोटा सूरियां, कोटला और ज्वाली, ये तीन पट्टियाँ मिलकर जवाली विधानसभा क्षेत्र की सामाजिक और राजनीतिक पहचान बनाती हैं। विधानसभा चुनावों के समय नगरोटा सूरियां पट्टी को इसलिए निर्णायक माना गया था क्योंकि विपक्ष का उम्मीदवार नगरोटा सूरियां पट्टी से था। तब ज्वाली व कोटला कांग्रेस नेतृत्व का यह कहना था कि यदि कांग्रेस को नगरोटा सूरियां पट्टी से 35% तक वोट मिल जाएं , तो जीत सुनिश्चित है। बीते चुनाव में नगरोटा सूरियां ने कांग्रेस को 39% से अधिक समर्थन देकर इस विश्वास को सही साबित किया, जबकि अन्य पट्टियों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। अब जब नगरोटा सूरियां का वर्षों पुराना विकासखंड इस पट्टी के कार्यकर्ताओं को बिना विश्वास में लिए जवाली स्थानांतरित कर दिया गया है, तो नगरोटा सूरियां पट्टी के कार्यकर्ताओं को यह निर्णय न केवल अनुचित लग रहा है, बल्कि उन्हें इस बात का भी मलाल है कि चुनावों के समय उनके साथ खड़े रहने वाले ज्वाली व कोटला के कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता अब इस मसले पर चुप क्यों हैं।स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग उठा रहे हैं, लेकिन जवाली व कोटला पट्टी के कांग्रेस जनप्रतिनिधि इस जनभावना को गंभीरता से नहीं ले रहे। उनका आरोप है कि यह चुप्पी कांग्रेस की विचारधारा — जनसुनवाई, समानता और सहभागिता — के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है।नगरोटा सूरियां से जुड़े वरिष्ठ कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मानना है कि”हमने चुनावों में कांग्रेस को पूरी ताकत से समर्थन दिया। आज जब हम अपने ऐतिहासिक अधिकार की बात कर रहे हैं, तो हमें अकेला क्यों छोड़ दिया गया है?”अब नगरोटा सूरियां के कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि ज्वाली और कोटला पट्टी के कांग्रेस नेता सामने आएं । वे ज्वालीके विधायक एवं माननीय कृषि एवं पशुपालन मंत्री से अनुरोध करें कि वे नगरोटा सूरियां के विकासखंड की नोटिफिकेशन को रद्द करें क्योंकि उजाड़ना कांग्रेस की संस्कृति नहीं है और इसे यथास्थान बहाल किया जाए। जवाली में पहले से ही ब्लॉक की नोटिफिकेशन हुआ था है ।वर्तमान सरकार ने उसे डी- नोटिफाई कर दिया था ।उसे दोबारा अधिसूचित कर दिया जाए। इससे न केवल असंतोष कम होगा , ज्वाली भी समग्र रूप से विकसित होगी, नगरोटा सूरियां में कांग्रेस की साख भी बचेगी। ‘एक ब्लॉक एक विधानसभा ‘का शिगूफा मात्र गुमराह करना है क्योंकि 68 विधानसभाओं पर पहले से 82 ब्लॉक हैं 83वां नोटिफाई होने की कगार पर है। इस पूरे घटनाक्रम ने ज्वाली कांग्रेस के भीतर एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा कर दिया है — क्या पार्टी नेतृत्व क्षेत्रीय जनभावनाओं के साथ खड़ा रहेगा, या समग्र ज्वाली का हित देखेगा या संगठन व अन्य महत्वपूर्ण कार्यकर्ता सिर्फ चुप्पी को प्राथमिकता देगा? यह समय बताएगा।

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