कांगड़ा

सरकारी भूमि पर बने आवास नियमित हों

सरकारी भूमि पर बनाए गए आवास को अब नियमितीकरण किया जाना जरूरी है। सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे करके व्यवसाय करने बालों पर उच्च न्यायलय का डंडा चलना चाहिए। 1 लाख 60 हजार लोगों को बेघर करना भी न्यायसंगत नहीं होगा। हिमाचल प्रदेश सरकारों की गलतियों का खामियाजा कुछेक गरीब लोगों को भुगतना पड़ेगा। सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करवाने में राज्य सरकारें भी कम दोषी नहीं हैँ। सरकारी जमीनों पर काबिज होने बाले के पक्ष में भाजपा उतर आई है। प्रकृति से निरंतर खिलबाड़ किए जाने का खामियाजा पहाड़ की जनता भुगत रही है। सरकारी सम्पति की सुरक्षा करना प्रत्येक नागरिक,सरकारी विभागों के प्रशासनिक अधिकारियों की अहम जिम्मेदारी होती है। प्रशासनिक अधिकारी सरकारी सम्पति की सुरक्षा करने में सफल नहीं हैँ। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायलय ने 23 बर्षों उपरांत इस बाबत एक याचिका पर सुनवाई करते हुए तमाम अबैध कब्जों को हटाए जाने के आदेश राज्य सरकार को दिए हैँ। अवैध कब्जों को लेकर लिए गए स्टे, तमाम कार्यवाही अब निरस्त होकर रह गई है। उच्च न्यायलय के आदेश बाद अबैध कब्जाधारियों की सांसे फूलना शुरु हैँ। भारतीय सविधान अवैध कब्जों को नियमित बनाने का अधिकार राज्यों सरकारों को नहीं देता है। अबैध कब्जों को नियमित बनाने का मतलव अवैध कब्जाधारियों को इनाम से नवाजना।कानून की पालना करने बालों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। सरकारी जमीन पर प्रत्येक हिमाचली का एक समान अधिकार है। राजनीति में ऊँची पहुंच रखने बाले निरंतर अपनी मनमानी से अवैध कब्जों को अंजाम देकर सरकारी सम्पति पर अपना अधीपत्य जमाए हुए है। कल्याणकारी योजनाओं के लिए सरकारी जमीन अब उपलब्ध होना बहुत बड़ी चुनौती है।राज्य सरकारें भूमिहिन लोगों के लिए जमीन का कुछ भाग मंजूर करने बाबजूद भी उन्हें खड्ड,नालों में बसाने की कोशिश अधिकारी करते हैँ। सरकारी विभागों की जमीनों पर अवैध कब्जों की फाइल कार्यालयों की अलमारियों में बंद है। कुछेक मामलों में अधिकारी नेताओं के हस्तक्षेप चलते अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किए जाने में सक्षम नहीं। नतीजन सरकारी जमीनों पर अबैध कब्जे किए जाने का सिलसिला निरंतर चल रहा है। सड़कों किनारे लोगों ने सरेआम होटल,रेस्टोरेंट,डाबा, शिक्षण संस्थान,मंदिर तक बना लिए हैँ।वनों को काटकर वहाँ भी अवैध कब्जों जरिए प्रकृति से खिलबाड़ जारी है। बोट बैंक चलते सरकारी जमीनों पर ग्रांट देकर गरीब लोगों का भवन निर्माण करवाने बाले पंचायत प्रतिनिधियों,सरकारी विभागों के अधिकारियों खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।सरकारी धन,सम्पति का दुरूपयोग एक साथ किए जाने के मामले प्रकाश में आये हैँ। सिविल,सेंशन और उपमंडलाधिकारी की आदलतों में अवैध कब्जों के मामले अनगिनत जिनका कोई समाधान नहीं किया जा रहा है। पीड़ित जनता दशकों से न्याय की आस लेकर ऐसे न्याय मंदिरों पर माथा टेक कर बैरंग बापिस घर लौट जाती है। प्रधानमंत्री आवास योजना तहत प्रत्येक गांव को सड़क सुबिधा से जोड़ने की मुहीम जारी है। वनों के मध्य सड़क निर्माण होने कारण उसके साथ लगती जमीनों के दाम सातवे आसमान पर हैँ। कुछेक सरकारी कर्मचारी ऐसी जमीनों को कोड़ियों दाम में खरीदकर आगे इसे सोने भाव बेचकर अपनी जेबें भर रहे हैँ। हिमाचल प्रदेश में भू माफिया सक्रिय जिसे सरकार का सरंक्षण प्राप्त ऐसा कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है। जमीनों की खरीद फरोख्त करके भू माफिया सरकारी राजस्व को चपत लगा रहे हैँ। कुछेक माननीयों तक ने अपने सगे संबधियों नाम सरकारी जमीनें खरीदकर अपने बच्चों का भविष्य सुनहरी बनाने का सपना देखा है। निमंत्रण दिया है। सन 2002 में राज्य सरकार ने अवैध कब्जों का नियमितीकरण किए जाने को लेकर कानून बनाया था। सरकार की मंशा गरीब बर्ग को राहत पहुँचाना था। अवैध कब्जाधारियों ने उच्च न्यायलय में शपथ पत्र दायर करके उक्त जमीनों का नियमितीकरण किए जाने की मांग रखी थी। अवैध कब्जाधारियों ने डाई हजार किलोमीटर अवैध जमीन पर कब्जा किया बताया जाता है। राज्य सरकारें अवैध कब्जों का नियमितीकरण किए जाने का दावा सदैव करती रही हैँ। राजनितिक पहुंच रखने बालों ने इसका पुरा लाभ उठाकर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे किए जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी रखा। जंगलों में अवैध भवन निर्माण,कटान करके उसे संकरा बना दिया है। वाहरी लोग जंगलों पर नजायज कब्जा किए जा रहे और वन विभाग अंजान बना हुआ है। खड्ड,नालों में पानी का बहाव मोड़कर लोगों ने मकान,पशुशाला,पावर प्रोजेक्ट,आईटीआई तक बना ली हैँ। जंगलों से निकलने बाले नालों का रास्ता ब्लाक कर दिए जाने से पानी का बहाव तेज बनकर लोगों का जान,माल का नुकसान कर रहा है। अबैध कब्जों को लेकर उच्ज न्यायलय द्वारा कड़ा रुख अपनाना सुख की सरकार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। हिमाचल प्रदेश में सरकारी जमीन पर आवास बनाने बालों को मलिकाना हक दिए जाना चाहिए। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके उसे व्यवसाय के रूप में इस्तेमाल करने बालों को बक्शा नहीं जाना चाहिए। सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों का नतीजा की जनता का काफी जान,माल का नुकसान हो रहा है।सुख की सरकार् के लिए अवैध कब्जे हटाना भी अब किसी आपदा से कम नहीं आंका जा सकता है।दशकों से सरकारी जमीनों पर नजायज कब्जा जमाए इतनी आसानी से पीछे हटने बाले नहीं हैं।

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