‘‘एक पेड़ माँ के नाम’’ अभियान आंगनबाड़ियों में पोषण और स्वास्थ्य सुरक्षा की अनोखी पहल : अतिरिक्त उपायुक्त
बाल विकास परियोजना अधिकारियों को औषधीय और पोषणवर्धक पौधों अश्वगंधा और सहजन का किया वितरण
धर्मशाला जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय कांगड़ा में पोषण माह 2025 के अंतर्गत औषधीय पौधों का वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त विनय कुमार ने जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास, जिला आयुर्वेद अधिकारी एवं आयुष मंत्रालय की प्रतिनिधि की उपस्थिति में सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों को मोरिंगा और अश्वगंधा के पौधे वितरित किए। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त विनय कुमार ने कहा कि एक पेड़ माँ के नाम एक अभिनव पहल है इसका उद्देश्य माँ की ममता और धरती की हरियाली को जोड़ते हुए मातृ एवं शिशु पोषण को सुदृढ़ बनाना है। उन्होंने कहा कि यह अभियान केवल पौधारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि मातृ-शिशु स्वास्थ्य और पोषण से गहराई से जुड़ा हुआ है। आंगनबाड़ी केंद्र इस पहल के माध्यम से पोषण सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक जागरूकता का त्रिवेणी संगम बनेंगे। उन्होेंने कहा कि एक पेड़ माँ के नाम अभियान हर नागरिक को अपनी माँ के सम्मान में पौधा लगाने के लिए प्रेरित करता है। जैसे माँ अपने बच्चों को जीवन और पोषण देती है, वैसे ही पौधे पूरे पर्यावरण को जीवन, आधार और शुद्ध वायु प्रदान करते हैं। यह संदेश महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य तथा परिवार के पोषण से सीधा जुड़ा हुआ है। जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास अशोक कुमार ने कहा कि पौधों का वितरण आंगनबाड़ी स्तर पर किया जा रहा है और कार्यकर्ताओं को इन पौधों की देखभाल और उपयोगिता के बारे में समुदाय को जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत कांगड़ा जिले की आंगनबाड़ियों में औषधीय और पोषणवर्धक पौधों अश्वगंधा और सहजन का वितरण किया जा रहा है। इन पौधों की आपूर्ति राष्ट्रीय औषधीय पौधा बोर्ड, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के क्षेत्रीय केंद्र द्वारा की गई है। यह केंद्र भारतीय चिकित्सा पद्धति अनुसंधान संस्थान जोगिंद्र नगर में कार्यरत है। जिला आयुष अधिकारी डाॅ. हरीश भारद्वाज ने बताया कि अश्वगंधा और सहजन मातृ एवं शिशु पोषण के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। अश्वगंधा तनाव कम करती है और ऊर्जा बढ़ाती है, जबकि सहजन एनीमिया और कुपोषण दूर करने का प्रभावी उपाय है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए सहजन कैल्शियम और आयरन का प्राकृतिक स्रोत है, जो गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए लाभकारी है। अश्वगंधा तनाव कम करने और ऊर्जा बढ़ाने में सहायक है। बच्चों के लिए सहजन की पत्तियाँ और फलियाँ प्रोटीन और विटामिन से भरपूर हैं, जो बच्चों की वृद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं। अश्वगंधा मानसिक और शारीरिक विकास को सुदृढ़ करती है।
इस अवसर पर आयुष विभाग ने आश्वासन दिया है कि भविष्य में पंचायतों, स्वयं सहायता समूहों और इच्छुक समुदायों को और भी पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे। इससे न केवल पोषण सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि ग्रामीण परिवारों को औषधीय पौधों के उत्पादन और विपणन से आर्थिक अवसर भी प्राप्त होंगे। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त ने जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास कार्यालय के परिसर में सहजन का पौधा भी रोपित किया। इस अवसर पर आयुष प्रतिनिधि डाॅ. ममता चंदन, जिला के समस्त बाल विकास परियोजना अधिकारी और विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।