खेती योग्य भूमि बीजाई करना छोड़ने को मजबूर हो गए ग्रामीण किसान

देहरा उपमंडल के तहत हो या ज्वाली उपमंडल की कुछ पंचायतों के ग्रामीण किसानों ने आवारा पशुओं, और जंगली जानवरों के उत्पात के चलते अपनी कई कनाल उपजाऊ खेती योग्य भूमि बीजाई करना छोड़ने को मजबूर हो गए है। कुछ ग्रामीण किसानों ने आप बीती बताते हुए बताया कि सीजन आने पर हर फसल की खूब पैदावार की जाती रही । पिछले कुछ अरसे से जंगली जानवरों द्वारा उनके खड़ी मेहनत की फसल को खेतों में उजाड़ करने से अब बिजाई करना ही छोड़ दी है। जिसके चलते उपजाऊ भूमि विरान होकर रहे गई है। मिली जानकारी अनुसार स्पेल, मसरूर, धार, धगड, कटोरा, बासा, वन तुंगली का कुछ एरिया, लुद्रेट, बरयाल, भियाल, नन्दपुर भटोली, गुलेर ,बिलासपुर सकरी, भटेड आदि के कुछ ग्रामीण इलाकों में हालत ये है कि ग्रामीण किसानों के जो अपने खाने के गुजारे के मुताबिक तक खेती करते थे,सब्जी सीजन उगाते थे, बो भी कई लोग जंगली जानवर की उत्पात, आदि की भारी तबाही के कारण बिलकुल बिजना बंद कर दी है। बताया जाता है कि रेल लाईन के निचले और उपरी बरयाल, नन्दपुर भटोली आदि इलाकों में ही कई कनाल उपजाऊ भूमि बीजाई बिना वीरान पड़ी है। हालांकि सरकार द्वारा किसानों के हित के लिए योजनाएं चला रखी हैं, पर अभी भी कुछ इलाकों के ग्रामीण किसान जंगली जानवर से हो रही खेती के नुकसान का समाधान नहीं निकल पाया है जिससे योजनाओं से लाभिन्त हो सके। यहाँ तक कुछ किसानों ने आवारा पशुओ और जंगली जानवरों से अपनी बिजी खेती के बचाब के लिए काँटेदार तार, जाले, आदि के बाड तो लगा रखे है, यहाँ तक कुछ लोग अपनी कड़ी मेहनत से बिजी फसल आदि पहरे दे कर बचाब करना पड़ता है, ये स्थिति है किसानों की कुछ इलाकों में चली हुई है।ग्रामीण किसानों ने स्थानीय महकमा और सम्ब्धित जिला के आलाधिकारियों और सरकार का विशेष ध्यान दिलबाते हुए फरियाद की है की किसानों के हित के लिए आबारा पशुओं और जंगली जानवरों से हो रहे नुकसान से बचाब के सरकार ने “मुख्यमंत्री खेत सरक्षण योजना ” शुरू की है की उसको सोलर फेशिंग,जाली दार बाड आदि लगाने की सहायता दी जा रही है , परंतु इसके लिए फ़िलड़ में सम्बधीत महकमा किसानों तक पहुँच कर इस बारे प्राथमिकता देना अति जरूरी है की वहीं किसानों को योजना बारे जागुरक और प्रोत्सहित करें ,जिससे किसान इस योजना से ज्यादा लाभिविंत हो उनकी खेती योग्य भूमि , जो खाली पड़ी है , खेती को प्रयोग कर सके और किसान , आर्थिक स्तर से मजबूत हो।