ज्वाली में बैठे बीडीओ और स्टाफ, मंत्री के निर्देशों की चर्चा तेज

लोकतंत्र में न्यायपालिका सर्वोच्च होती है और उसके आदेशों का पालन करना हर संस्थान की संवैधानिक जिम्मेदारी है। माननीय हाईकोर्ट के 8 जुलाई के आदेश के मुताबिक हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 के तहत नगरोटा सूरियां पंचायत समिति का पुनर्सीमांकन 30 मई 2025 को प्रकाशित हो चुका था। डीलिमिटेशन हो जाने के उपरांत पंचायत समिति की सीमाओं से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती थी । समिति का पुनः सीमांकन होने के पश्चात विकास समिति फतेहपुर की 14 पंचायतों को नगरोटा सूरियां पंचायत समिति में शामिल करना विधि सम्मत नहीं था। इसलिए माननीय उच्च न्यायालय ने विभाग की जून 10 ,2025 की विभागीय अधिसूचना के कार्यान्वयन पर अगस्त के पहले माह तक पूर्ण रोक लगाई है । जिसमें पुनः सीमांकन को विधि सम्मत नहीं माना है। इसी अधिसूचना के अंतर्गत विकासखंड नगरोटा सूरियां का मुख्यालय भी ज्वाली स्थानांतरित किया गया था माननीय उच्च न्यायालय के आदेश से अधिसूचना पर पूर्ण रोक लग गई है अतः अधिकारियों को किसी भी राजनीतिक दबाव में ना आकर माननीय न्यायालय के आदेश के अनुसार आचरण किया जाना चाहिए था अधिकारियों के इस तरह के आचरण पर क्षेत्र में चर्चाएं गर्म है की यह अधिकारी न्यायालय के आदेशों को भी धता दिखाने से परहेज नहीं करते तो आम जनता की क्या सुनेंगे। सूत्रों के अनुसार, खंड विकास अधिकारी तथा अन्य कर्मचारी आज भी ज्वाली में कार्यरत रहे। बताया गया कि यह स्थिति संबंधित मंत्री के मौखिक निर्देशों के चलते बनी। इससे प्रशासनिक तंत्र की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए हैं। यदि अधिकारी केवल राजनीतिक दबाव में कार्य करेंगे, तो यह लोकतंत्र के लिए घातक संकेत है।