कांगड़ा

हिमाचल जलमग्न,पर्यटक फिर कैसे आएं

हिमाचल प्रदेश का पर्यटन बरसात की बाढ़ प्रत्येक बर्ष निगलती जा रही है।एक आपदा जख्म भर नहीं रहे और आगे फिर हरे हो जा रहे हैँ।आज हालात इस कदर वदहाल की कनेक्तविटी की समस्या बिकराल बनती जा रही है।हिमाचल प्रदेश जलमग्न फिर पर्यटक कैसे आएं बढ़ा सवाल बन चुका है।पर्यटक जब घूमने नहीं आएंगें तो फिर पर्यटन को बिकसित करके अपनी आय का प्रमुख स्त्रोत बनाना मुश्किल है।हिमाचल प्रदेश की बरसात जानलेवा बनती जा रही है।ख़ासकर पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने कारण 78 लोगों की मौत,फिलहाल 37 लोग लापता और 27 लोग सड़क हादसों में मारे गए हैँ।राज्य की 239 सड़कें बंद पड़ी हैँ।खेद का बिषय की बाढ़ की चपेट में आए लापता लोगों को एनडी आरएफ की टीमें कुत्तों सहित मलबे के ढेरों में तलाश कर रही हैँ।आपदा से प्रभावित लोग अपने मकान,पशु,सगे संबंधियों,बगीचों,पेड़,पौधों और खेत, खलिहान को बाढ़ की बलि चढ़ा चुके हैँ।सुख की सरकार आपदा से प्रभाबित लोगों का जीवन यापन पटरी पर लाने के लिए दिन रात जुटी हुई है।भाजपा नेता भी इस दुख की घड़ी में आपदा प्रभावितों की मदद किए जाने के लिए आगे आए हैँ।सुख की सरकार आपदा में सात करोड़ रुपये का नुकसान होने का आंकड़ा बता रही है।ठीक यही नुकसान का आंकड़ा गत बर्ष दो हजार करोड़ रुपये बताया गया था।राज्य सरकार केंद्र से हिमाचल प्रदेश को आपदा राज्य घोषित किए जाने की मांग करती रही।केंद्र सरकार की आपदा प्रबंधन कमेटी भी हिमाचल प्रदेश के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके गई,मगर आपदा पीड़ित राज्य घोषित नहीं कर पाई।आपदा पीड़ित राज्य घोषित किए जाने बाबजूद भी इस बार बरसात की बाढ़ में इतना जान माल का नुकसान नहीं होता इसकी गारंटी सुख सरकार भी नहीं दे सकती है।हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी क्षेत्रों में अक्सर बादल क्यों फट रहे पर मंथन करने की जरूरत है।सरकार भारी बरसात चलते प्रदेश की जनता को अकारण अपने घरों से बाहर न निकलने की एडवाइजरी जारी कर चुकी है।
पहाड़ के लोग अपने घरों में अपने आपको अब सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे है।जनता के दिलों में यही डर बैठ गया की पता नहीं कब बरसात में उनके साथ क्या अनहोनी घटना घटित हो जाए।गत बर्ष की बाढ़ में कुछेक घर,पशु शालाएं जमीन में धंस गई थी।इस बार भी कुछेक घटनाएं ऐसी सामने आई हैँ।श्रावण,भादो माह के मेलों का आगाज होने बाला है।देवभूमि मंदिरों में पर्यटक इसी माह अपना शीश नवाजने के लिए आते हैँ।स्कूली बच्चे भी अपनी छुट्टियां मनाने के लिए वाहर निकलने का प्रोग्राम बनाते थे।सड़क पर गुजरते बाहनों पर कब पेड़,चट्टान और पहाड़ियां गिरकर लोगों को मौत का ग्रास बना ले कोई नहीं जानता है।पहाड़ी राज्य में फोरलेन सड़क निर्माण क्या समय की मांग थी आज बड़ा सवाल है?।एनएचआई द्वारा बनाई जा रही सड़कें नियमों को ताक पर रखकर बनाई जा रही जिसका खामियाजा जनता सहित पर्यटकों को भुगतना पड़ रहा है।राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनाई जा रही अधिकतर सड़कों में सुरक्षा नाम की कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिल रही है।बर्षों से सड़कों, पुलों,और पुलियों का निर्माण कार्य लंबित पड़ा है।कुछेक एनएचआई अधिकारी और ठेकेदार अपनी मनमर्जी से कार्य करके पहाड़ की भोली भाली जनता को बेबकुफ़ समझ रहे हैँ।फोरलेन सड़क निर्माण कार्य हर रोज लोगों की जिंदगियां लील रहा और राज्य सरकार आँखें बंद करके बैठी है।प्रशासनिक अधिकारियों पास अनगिनत शिकायतें जनता दर्ज करवाने बाबजूद लापरवाह अधिकारियों,ठेकेदारों खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करते हैँ।वन,भू राजस्व,पुलिस और पर्यावरण अधिकारी अपनी जिम्मेदारियां अगर सही निभाएं तो जनता की समस्याएं कम हो सकती हैँ।सड़क निर्माण का कचरा वनों,खड्डो में वहाकर हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक जल स्त्रोतों को दूषित करके पर्यावरण से खिलबाड़ किया जा रहा है।फोरलेन सड़क निर्माण नामी बाजारों की रौनक तक लील चुका है।सड़क का लेवल एक समान नहीं,एक सड़क पर आने जाने बाले वाहनों की आवाजाही,सड़कों पर पत्थर,बजरी और रेत के डेर,सुरक्षा स्पीड लिमिट नाम का कोई बोर्ड देखने को नहीं मिलता है।पहाड़ियों को कई मीटर लम्बा काटकर उस पर जाली लोहे के कीलों से गाड़कर भूसखलन रोकने की व्यबस्था एनएचआई द्वारा की गई है।ऐसी सड़कों किनारे केवलमात्र नाम के ढंगे बनाए गए जो मलवे के डेर से डके रहते हैँ।सड़कों किनारे नालियों,पानी निकासी व्यबस्था पुख्ता नहीं है बरसात की पहली बारिश ही ऐसी सड़कों को अपने साथ वहाकर ले जाती है।बरसात का मौसम चलने बाबजूद भी हिमाचल प्रदेश का लोक निर्माण विभाग सड़कों पर तारकोल बिछाना नहीं भूलता है।सड़कों पर तारकोल बिछाने के लिए जमीन का तापमान अनुकूल होना अवश्य है।अन्यथा बरसात में डाले जाने बाला तारकोल बजट की बर्बादी की कहा जाएगा।बरसात जब भी आती लोक निर्माण विभाग का अगला,पिछला घाटा पुरा हो जाता है।आखिर कब तक लोक निर्माण विभाग भी अपनी कार्यप्रणाली में सुधार किए जाने बजाए प्रकृति पर दोष जड़कर चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाता रहेगा?।बरसात में हुए नुकसान की लोक निर्माण विभाग अधिकारी डीपीआर बनाकर सरकार को दोबारा बजट मंजूर किए जाने के लिए भेजते हैँ। एक ही सड़क के लिए कितनी बार बजट मंजूर कर दिया जाता राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग वगैर कोई नहीं जानता है।सुख की सरकार ने पहली बार नियमों को ताक पर रखकर सड़क निर्माण करने बाले 91 सहायक कनिष्ठ अभियंता,सहायक अभियंता और अधिशाषी अभियंताओं को कारण बताओ नोटिस जारी करके 15 दिन के भीतर जबाब मांगा है।प्रदेश की जनता जानना चाहती की ऐसे लापरवाह अधिकारियों खिलाफ सरकार क्या कार्यवाही करेगी।शिमला में पांच मंजिला ईमारत अचानक गिरने से सुख की सरकार के पंचायती राज मंत्री,एनएचआई अधिकारियों के बीच फोरलेन सड़क निर्माण को लेकर उत्पन्न हुआ विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है।मंत्री ने फोरलेन सड़क निर्माण में बरती जा रही लापरवाही कारण प्रदेश की जनता को किस तरह खामियाजा भुगतना पड़ रहा मीडिया समक्ष बताया है।मंत्री ने अपनी सरकार के सरकारी विभागों के अधिकारियों की नकारात्मक कार्यप्रणाली पर कई संगीन आरोप लगाएं हैँ।कुल मिलाकर पंचायती राज मंत्री ने हिमाचल प्रदेश में जन जागरण अभियान छेड़कर एनएचआई खिलाफ जनता को अपने साथ जोड़ने की मुहीम चला दी है।वदहाल सड़कों कारण कबाड़ बन रहे बाहनों और प्रदेश की जनता की सुरक्षा एनएचआई को करनी होगी।प्रकृति से खिलबाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं है।प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हिमाचल प्रदेश में ऐसा निरंतर हुआ जिसके चलते लोग बेमौत मर रहे हैँ।हिमाचल प्रदेश का अपना अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा तक नहीं,बरसात में लहासे गिरने से रेलमार्ग कई महीनों तक अबरुद्ध उसने है।सड़कों की हालत भी सुरक्षाजनक न होने कारण जनता वेहद परेशान हैँ।

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