पंचायत प्रतिनिधियों को मानदेय न मिलने पर सरकार से नाराजगी
लोकतंत्र के आधार स्तंभ उपेक्षा के शिकार

देश के ग्रामीण विकास और प्रशासनिक व्यवस्था में पंचायत प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रधान, पंच, जिला परिषद और ब्लॉक समिति के सदस्य गाँव के विकास कार्यों की देखरेख करते हैं, लेकिन हिमाचल सरकार द्वारा इन्हें नियमित मानदेय नहीं दिया जा रहा है।
पिछले दिसंबर के बाद पंचायत प्रतिनिधियों में नाराजगी बढ़ रही है और वे सरकार से मानदेय की मांग कर रहे हैं। पहली बार प्रदेश में ऐसा हुआ है कि पंचायत प्रतिनिधियों को उनका मानदेय ही नहीं मिल रहा l
पंचायत समिति धर्मशाला के उपाध्यक्ष विपन कुमार ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था के तहत गाँवों में जल आपूर्ति, सड़क निर्माण, स्वच्छता अभियान, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी पंचायत प्रतिनिधियों की होती है। वे जनता और प्रशासन के बीच सेतु का कार्य करते हैं, लेकिन सरकार द्वारा उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत नहीं किया जा रहा है। यदि प्रतिनिधियों को मानदेय ही नहीं मिलेगा, तो उनकी कार्यक्षमता और निष्ठा पर भी असर पड़ेगा।