पर्यावरण प्रदूषण मानवता के लिए विषाक्त

सुख की सरकार द्वारा व्यवसायिक बाहनों में डस्टविन रखे जाने की योजना सराहनीय है।इस योजना की अवहेलना करने बालों खिलाफ जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया है। बाहनों अंधर रखे जाने बाले डस्टविन कचरे के निष्पादन को लेकर अभी जनता में आसमजस्य है।आज जनता में जरूरत जागरूकता बढ़ाने की खुलेआम कचरा इधर,उधर फेंकने से पर्यावरण प्रदूषण निरंतर बढ़ रहा जो मानवता के लिए घातक है। पर्यावरण प्रदूषण मानवता के लिए बहुत बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। आज हालात ऐसे बन चुके की पर्यावरण प्रदूषण ने छोटे गाँवों तक को बंधक बना लिया है। बेशक हम योग अभ्यास करते रहें,स्वस्थ भोजन खाते रहें। जब तक हमें स्वच्छ अक्सीजन नहीं मिलती हम कभी सेहतमंद नहीं हो सकते हैँ। कल तक हम पर्यावरण प्रदूषण के लिए देश की राजधानी दिल्ली को इसका गढ़ मानते रहे हैँ। एक रिपोर्ट अनुसार दुनियां भर के 20 में भारत के 13 स्थानों में पर्यावरण प्रदूषण की मात्रा सबसे अधिक बताई जो चिंताजनक है। कोरोना वायरस काल दौरान एक बर्ष में 5 लाख लोगों की मौतें हुई थी। पर्यावरण प्रदूषण चलते अब प्रत्येक बर्ष 20 लाख लोगों की मौतें हो रही हैँ। जनता को स्वच्छ पर्यावरण मिलना आज सबसे बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। नतीजन लोग कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैँ।गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को उपचार दौरान अक्सीजन की समस्या उत्पन्न होना आम बात बन चुकी है। मरीजों को मशीनों के माध्यम से अक्सीजन दिए जाने का प्रयास किए जाने पर उनके फेफड़े कमंजोर पड़ जाने कारण उनकी मौतें हो रही हैँ। पशु भी जमीन पर बैठने से पहले अपनी पूंछ से उस जमीन को साफ करके अपनी समझदारी का सबूत देता आ रहा है। आजकल का इंसान क्या पशुओँ से भी बदत्तर बनता जा रहा जो इधर,उधर प्लास्टिक का सूखा कचरा फैंककर अपनी नासमझी का सबूत दे रहा है?। प्लास्टिक पानी की बोतल,कोल्ड ड्रिंक,एनर्जी ड्रिंक,चाय, काफी के कप लोग इस्तेमाल तदोपरांत सरेआम सड़को,गलियों, बस स्टाप पर फेंकना अपनी रोजमर्रा की आदत बना चुके हैं। सरकार ने स्वछता अभियान केवलमात्र मीडिया में वाहवाही लूटने के लिए नहीं चला रखा हुआ है। लोगों में सूखे कचरे से होने बाले नुकसान को लेकर सामाजिक जागरूकता बड़े इसलिए ही चलाया गया है। स्वच्छता अभियान के तहत गांब स्तर पर कूड़ेदान रखे गए,मग़र लोग इनमें सूखा कुड्डा डालने की बजाए उल्टा उनका मजाक बनाने में लगे हुए हैं।नतीजन ऐसे कूड़ेदान सिर्फ शोपीस बनकर ही रह चुके हैं। कम्पनियों का कुड्डा,कचरा भी खड्ड,नालों में फैंककर पर्यावरण दूषित बनाता जा रहा है। बढ़ता वायु प्रदूषण दिनोंदिन मानवता के लिए बहुत बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। आसमान में उड़ते कचरायुक्त धूल के कणों से इंसान स्वच्छ वायु भी बरावर नहीं ले पा रहा है। दूषित वायु प्रदूषण की बजह से आजकल लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं। मौसम की एलर्जी,चमड़ी रोग,खाँसी, दमा, ह्रदयघात,हड्डी रोग और खुष्क त्वचा की समस्या से हर कोई आहत है। इसी बजह से लोग लंग,किडनी और पनुमोनीया जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार बनकर रहते जा रहे है। वायु प्रदूषण इंसान के दिमाग पर भी ज्यादा असर करके शरीर को निर्जीव बनाकर रख देता है। बढ़ते वायु प्रदूषण पर रोकथाम लगाने के लिए सरकारें फ़िलहाल नाकाम चल रही,नतीजन इसका खामियाजा आम जनमानस को भबिष्य में भुगतना पड़ सकता है। सर्दियों में खासकर लोग कूड़े कचरे के ढेरों को आग लगाकर शरीर को तपिश देने की कोशिशें करते आ रहे हैं। ऐसे कचरे के ढेरों से उठने बाला धुंआ भी बातावरण को बिषैले बनाने का काम करता है। डीजल जनरेटर का धुआं और एयर कंडीशनर प्लांट की गर्म हवा भी पर्यावरण को ज्यादा गर्म बना रही है।फसलों,सब्जियों और फलों पर किये जा रहे जहरीली दवाओं और कीटनाशक स्प्रे से भी बातावरण पर विपरीत असर पड़ा है। धान का पुराल जलाने से सबसे ज्यादा बातावरण प्रदूषण हो रहा,मग़र जागरूकता बगैर यह सिलसिला सालों से इसी तरह चलता आ रहा है। जलते हुए धान के पुराल से आसमान में उड़ने बाले कचरायुक्त धुंए से वायु प्रदूषण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। नतीजन बच्चों, बूढ़ों और हर कोई इस समस्या का खामियाजा भुगत रहा है। एक तो सर्दियों का मौसम होने के कारण आसमान में धुंध अपना डेरा जमाए हुए रखती है।बहीं जलती हुई कृषि और फैक्ट्रियों के धुंए से आम जनमानस का जीवन ही अस्त व्यस्त होकर रह जाता है। बढ़ते वायु प्रदूषण की बजह से कुछेक राज्य समेत महानगर भी खासे प्रभावित रहते आ रहे हैं। मग़र बाबजूद इसके कोई सीख लेने को तैयार नहीं है।न्यायालय ने कृषि को जलाए जाने पर कड़ा प्रतिबंध लगाया है,मग़र कुछेक किसान धान का पुराल जलाकर प्रकृति से खिलबाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। शहरों में रहने बाले लोगों को स्वच्छ वायु न मिलने की बजह से बह अपने घरों की चारदीवारी में बंद होकर रहने को मजबूर हो जाते हैं। मग़र अब यह समस्या हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में भी बढ़ रही है। वायु प्रदूषण खासकर बच्चों को अपनी चपेट में ज्यादा ले रहा,ऐसा माना गया है। दूषित वायु प्रदूषण से अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए अभिवाबकों को जागरूक बनने की जरूरत ज्यादा है। जंगलों में पेड़ों पर लगातार कुल्हाड़ी चली हुई हैं।पेड़ कटने की तादाद ज्यादा जबकि पौधरोपण भी मात्र दिखावे के लिए ही किया जा रहा है। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करके आम जनमानस के लिए आक्सीजन छोड़ते हैं। जब पेड़ ही नहीं रहेंगे तो कैसे कचरायुक्त कार्बन डायक्साइड को खत्म करके मानवता के लिए आक्सीजन मुहैया हो पाएगी सभी को अब गौर करना होगा। पौधरोपण पर हर साल करोड़ो रुपया खर्च किया जा रहा,मगर इसके बाबजूद कटते जा रहे पेड़ों का दर्द कोई नहीं समझ पा रहा है। पेड़ों की कमी की बजह से जमीन का जल स्तर जहां दिनोंदिन गहराता जा रहा है। ठीक इसी कारण आजकल बारिशें बेमौसमी ज्यादा हो रही हैं।वायु प्रदूषण से आगामी पीढ़ी को बचाने के लिए बारिशों का समय पर होना बहुत जरूरी बन चुका है। आसमान में फैले कचरायुक्त धूल कणों को सिर्फ बारिश ही साफ कर सकती हैं। अगर जागरूकता से काम किया जाए तो बढ़ते वायु प्रदूषण से कुछ हद तक निजात पाई जा सकती है। मौसम बदलते ही हर साल नए नामों से कई तरह की फ्लू यानी वायरस चल पड़ते हैं। इस वायरस का अगर समय रहते सही इलाज न किया जाए तो इंसान के लिए मौत का सबब भी बन जाता है। स्वाइन फ्लू,कोरला वायरस,ड़ेंगू, टायफाइड और मलेरिया बुखार से पीड़ित लोग हर साल मरते जा रहे हैं। बरसात खत्म होते ही सर्दियों के आगमन पर अजीव किस्म की कोल्ड फ्लू चलकर लोगों को जकड़ लेती है।चिकित्सकों ने कोल्ड फ्लू में नाक और आंख से पानी वहना,तेज बुखार,कपकपी लगना,कफ,दमा और खांसी को इसके प्रमुख कारण माना है। ऐसी फ्लू से ग्रसित मरीज को सर्वप्रथम चिकित्सीय ईलाज को पहल देनी चाहिए,मग़र ऐसा लोग करने की बजाए खुद दर्द निवारक गोलियां खाकर निजात पाने की कोशिश करते हैं। फ्लू से ग्रसित मरीज को बचाव के लिए भीड़भाड़ बाली जगह से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। मुहँ पर अच्छी गुणबत्ता बाले मास्क का उपयोग,हाथों को बार बार साबुन से धोना जरूरी होता है। इंसान घर के पके हुए खाने को कम तब्ज़ों देकर महंगे होटलों और रेस्टोरेंट का खाना खाना अपना स्टेटस सिंवल बना चुका है।आजकल हर जगह फ्रोजन खाद्य पदार्थ ही ज्यादा पकाए जा रहे हैं। ऐसा खाना खाने से इंसान का शरीर अंदर से खोखला बनकर रह जाता जिससे उसके शरीर में ऐसे वायरस से लड़ने की शक्ति खत्म होकर रह जाती है।बढ़ते वायु प्रदूषण से विश्ब के कई देश प्रभावित हैं। सर्दियों के मौसम में राजधानी दिल्ली और पंजाव राज्य के कई जिलों में इसके प्रभाव देखने को मिलते रहे हैं। बिकराल बनती जा रही वायु प्रदूषण की समस्या से अपने देश में मरने वाले लोगों का आंकड़ा ज्यादा बताया जाता है। पर्यावरण सरक्षण प्रत्येक व्यक्ति की अहम जिम्मेदारी बनती की वह इसमें अपनी अहम भूमिका निभाए। अधिक पेड़ लगाएं जाएं,सूखे कूड़े का निष्पादन किया जाए, उर्वरक रसायन,किटनशकों,स्प्रे का कम इस्तेमाल किया जाए।