प्रतियोगी परीक्षाएं पारदर्शिता परिपूर्ण बनें

प्रतियोगी परीक्षाएं अब दिनोंदिन हिमाचल प्रदेश में मजाक बनकर रह गई हैँ। अगर यूँ कहा जाए की ऐसी परीक्षाओं का प्रश्न पत्र लीक करने बाले माफिया के लिए यह आय का स्त्रोत बन चुकी तो ऐसा कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। हमीरपुर स्थित अधीनस्थ चयन बोर्ड द्वारा आयोजित जेओआईटी का प्रश्न पत्र लीक होने की एवज में सुख की सरकार ने इस पर ताला जड़कर पूर्व सरकार पर कई संगीन आरोप लगाए थे। कांस्टेबल पुलिस भर्ती प्रश्न पत्र पत्र लीक मामले में उच्च न्यायलय ने हिमाचल प्रदेश सरकार सहित लोक सेवा आयोग और केंद्रीय जाँच व्यूरो को नोटिस भेजकर 4 सप्ताह में प्रतिवादियों को अपना पक्ष सुनाने की हिदायत दी है। सुख की सरकार ने अडाई बर्ष उपरांत 15 जून को कांस्टेबल पुलिस भर्ती की परीक्षाएं 18 केंद्रों पर आयोजित करवाई थी। शारीरिक परीक्षा उत्तीर्ण करने बाले युवा ही खाकी पहनने का सपना संजोकर लिखित परीक्षा में बैठे थे। कांस्टेबल पुलिस भर्ती पेपर भी लाखों रुपये में बिका जिसकी एवज में कांगड़ा पुलिस ने मामला दर्ज करके गहनता से जाँच शुरु की है। गनीमत यह की कांस्टेबल पुलिस भर्ती प्रश्न पत्र बेचने बाला गिरोह इससे पूर्व भी ऐसी बारदात को अंजाम दे चुका है। मगर बाबजूद इसके कोई सीख नहीं ली। प्रश्न पत्र लीक करने बाले गिरोह पर अगर पूर्व में कड़ी कार्यवाही की गई होती तो वह अव कांस्टेबल पुलिस भर्ती का प्रश्न पत्र दोबारा लीक करने की हिमाकत नहीं करता। कांगड़ा पुलिस ने पालमपुर स्थित परीक्षा केंद्र के वाहर दो युवकों को प्रश्न पत्र लीक करने की एवज में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार युवकों ने पुलिस को बताया की कर्जधारी से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने कांस्टेबल पुलिस भर्ती का प्रश्न पत्र लीक करवाया। करीब 30 युवक इस गोरख धंधे में संलिप्त पाए जाने की जांच चल रही है। परीक्षा केंद्रों में खामियों का चिट्टा परीक्षार्थियों ने सोशल मीडिया में खोलकर कई खुलासे किए। भाजपा ने कांस्टेबल पुलिस भर्ती परीक्षा पर कई सवाल उठाकर इसे रद्द करने की मांग उठाई थी। सुख की सरकार ने कांस्टेबल पुलिस भर्ती परीक्षा खिलाफ आवाज मुखर करने बालों खिलाफ पुलिस रिपोर्ट दर्ज करबाने का एलान करके जनता की आवाज दवाने की कोशिश की। 1600 परीक्षार्थियों ने कांस्टेबल पुलिस भर्ती परीक्षा में हुई धांधलियों की शिकायत हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग से ईमेल माध्यम से की है। मगर बाबजूद इसके परीक्षार्थियों को लोक सेवा आयोग से सिवाए निराशा के कुछ नहीं मिला। परीक्षार्थियों ने थकहार अपने भविष्य की चिंता करते हुए उच्च न्यायलय समक्ष अपना दुखड़ा सुनाया है। प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र अधिकृत अधिकारियों पास रहते हैँ। परीक्षाओं से पूर्व ही प्रश्न पत्र लीक होने का भावार्थ की कुछेक परीक्षा केंद्रों के स्टॉफ की कार्यप्रणाली भी संदेह जनक है। पूर्व भाजपा सरकार में पुलिस भर्ती मामला भी सुर्खियों में रहा था। सुख की सरकार भी कांस्टेबल पुलिस भर्ती प्रश्न पत्र लीक होने से नहीं बच पाई है। कुल मिलाकर हिमाचल प्रदेश की युवा पीढ़ी मानसिक तनाब से जूझ रही है।युवा लाखों रुपये खर्च करके प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कोचिंग सेंटरों में करते हैँ। मेहनत करने बाले युवा इस गोरखधंधे चलते मैरिट में पिछड़ जा रहे और पैसों के दम पर प्रश्न पत्र हासिल करने बाले बाजी मार रहे हैँ। अधिकतर प्रतियोगी परीक्षाओं को न्यायलय में चुनौती दी जाती है। बर्षों से ऐसे केसों की सुनवाई चलती और युवाओं को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की बगैर पुलिस की मिलीभगत से कांस्टेबल पुलिस भर्ती का प्रश्न पत्र लीक भी हो सकता है। केंद्रीय जांच ब्यूरो की टीम प्रश्न पत्र लीक करवाने बाले गिरोह का पर्दाफाश करेगी ऐसी जनता को उम्मीद है। बेरोजगारी युवाओं को दीमक की तरह चाट रही है। चुनावों समय प्रत्येक राजनितिक दल के मेनिफेस्टों में युवाओं को बेरोजगारी से निजात दिलाने का प्रमुख एजेंडा होता है। सतासीन होते ही नेता अपने वायदों को भूल जाते हैँ। हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारों का आंकड़ा लाखों में पहुंच चुका है। कांग्रेस पार्टी ने युवाओं को लाखों नौकरियां दिए जाने का लालच देकर हिमाचल प्रदेश में सुख की सरकार बनाने में सफलता हासिल कर ली।कांग्रेस ने युवाओं को इस कदर बरगलाया की डबल इंजन भी हांफ गया। हिमाचल प्रदेश के बेरोजगारों को सुख की सरकार से रोजगार को लेकर बहुत उमीदें थी।मगर यह सरकार भी पूर्व सरकार की भांति युवाओं की आशा पर खरा नहीं उतर पाई है। बेरोजगार युवाओं को 58 साल पक्की नौकरी दिए जाने का हिमाचल प्रदेश में सतासीन हुई सुख की सरकार केवलमात्र चंद सिक्कों में वन मित्र,रोगी मित्र रखकर युवाओं का शोषण किए जाने का क्रम जारी किए हुए है।कृषक मित्रों से किसी सरकार ने मित्रता नहीं निभाई अब वन मित्र,रोगी मित्रों का आगामी भविष्य क्या होगा आज बड़ा सवाल है?। भाजपा नेता अब पक्षी मित्र भी रखने को लेकर चुटकी लेते हुए सुख की सरकार की खिल्ली उड़ाने में मशगूल हैँ। सरकार अब पांच हजार रुपये मासिक वेतन पर पशु मित्र रखने की अधिसूचना जारी कर चुकी है। महंगाई दौर में पांच हजार रुपये मासिक वेतन सरकार से प्राप्त करने बाला युवा अपना व अपने परिवारजनों का पालन पोषण किस तरह करे चिंता का बिषय है। दिहाड़ीदार श्रमिक भी एक दिन का पांच सौ रुपये कमा रहा है। दिहाड़ीदार एक माह काम करने की एवज में 15 हजार रुपये कमा लेता है। पशु मित्र केवल मात्र पांच हजार रुपये पर रखना युवाओं का शोषण करने समान है। राज्य सरकारों के नितिकारों की कार्यप्रणाली युवा विरोधी रही जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। युवाओं को अच्छा वेतन दिए जाने के लिए सरकार कर्जधारी का डिंडोरा पीटत्ती है। विधानसभा में ध्वनि मत से अपने कई गुणा वेतन बढ़ाकर जनता पर बोझ बढ़ा देते हैँ। युवा पीढ़ी किसी देश की रीड की हड्डी समान होता है। युवा जितना सजग,गुणवान होगा वह देश उतना ही खुशहाल होता है। आजकल की अधिकतर युवा पीढ़ी निराश,हताश और असहाय बनकर नशों के चंगुल में फंसती जा रही है। शिक्षा ग्रहण करने के दो मूल उद्देश्य होते हैँ।शिक्षित बनकर आजीविका कमाते हुए परिवार जनों का सहारा बनना। समाज, राष्ट्र पुनर्निर्माण में अपनी भागीदारी निभाना। युवा पीढ़ी बेरोजगारी की चक्की में पिस रही और समाज,राष्ट्र प्रति अपनी जिम्मेदारियां नहीं समझ पा रही है।